तानसेन समारोह में इस बार देश-विदेश के मूर्धन्य कलाकारों को सूची में शामिल किया गया है। संस्कृति विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार समारोह में ग्वालियर घराने की प्रख्यात गायिका मीता पंडित का ख्याल गायन होगा। वहीं देश की जानी मानी गायिका विदुषी शुभा मुदगल का अपने सुरों का जादू बिखेरेंगी।
By Mahesh Gupta
Publish Date: Mon, 25 Nov 2024 01:08:10 PM (IST)
Updated Date: Mon, 25 Nov 2024 01:08:10 PM (IST)
HighLights
- विश्व समागम की तैयारियां तेज
- देशभर में हो रहे हैं आयोजन
- खैरागढ़ में कार्यक्रम कल
महेश गुप्ता. नईदुनिया ग्वालियर। देश के प्रख्यात सांगीतिक समारोह में से एक अखिल भारतीय तानसेन समारोह का आगाज 15 दिसंबर से होगा। इस भव्य आयोजन के शताब्दी वर्ष को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियां तेज हैं। इस बार देश-विदेश के मूर्धन्य कलाकारों को सूची में शामिल किया गया है। संस्कृति विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार समारोह में ग्वालियर घराने की प्रख्यात गायिका मीता पंडित का ख्याल गायन होगा। वहीं देश की जानी मानी गायिका विदुषी शुभा मुदगल का अपने सुरों का जादू बिखेरेंगी। हिंदी फिल्मों की गायिका आरती अंकलीकर का गायन होगा।
गिरिजा देवी की शिष्या सुनंदा शर्मा का गायन, गुंदेचा बंधु का ध्रुपद गायन, जयपुर के सुर बहार वादक अश्विन दलवी, पंडित राहुल शर्मा संतूर वादन की प्रस्तुति देते नजर आएंगे। इसके साथ ही पंडित प्रेम कुमार मलिक व ऋत्विक सान्याल की भी प्रस्तुति खास रहने वाली है। उल्लेखनीय है कि समारोह के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव उपस्थित रहेंगे। इसके एक दिन पहले 14 दिसंबर को इंटेक मैदान में पूर्व रंग गमक का आयोजन किया जाएगा।
संतूर-सितार की जुगलबंदी ने मोहा मन
तानसेन समारोह के पूर्व कई राज्यों में सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं, जिसमें मूर्धन्य कलाकारों की प्रस्तुतियां हो रही हैं। इसी क्रम में रविवार को फैकल्टी आफ परफार्मिंग आर्ट्स, महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय बड़ौदा में इंदौर की डा. पूर्वी निमगांवकर का गायन हुआ, जिसे संगीत रसिकों ने खूब सराहा। इसके बाद उज्जैन से डा. वर्षा अग्रवाल और बीकानेर से पंडित असित गोस्वामी का संतूर-सितार की जुगलबंदी पेश की। समापन पर तबला वादन की प्रस्तुति वाराणसी के पंडित शुभ महाराज ने दी।
संगीत विश्वविद्यालय के आचार्य व छात्र देंगे प्रस्तुति
तानसेन समारोह के पूर्व ग्वालियर में भी दो बड़ी संगीत सभाएं होने जा रही हैं। ये सभाएं छह दिसंबर और 10 दिसंबर को होगा। छह दिसंबर को शाम पांच बजे भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान के आडिटोरियम में “ग्वालियर का सांगीतिक वैभव” के नाम से संगीत सभा सजेगी। इस कार्यक्रम की संकल्पना राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. इस्मिता सहस्त्रबुद्धे की है। यह आयोजन ग्वालियर की समृद्ध संगीत विरासत की उत्पत्ति की संपूर्ण यात्रा पर केंद्रित होगा, जिसमें ध्रुपद व ख्याल गायन के साथ लोक गायन की प्रस्तुति भी होगी। कार्यक्रम में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के आचार्य व विद्यार्थी प्रस्तुतियां देंगे।
उमेश कंपूवाले व अभिजीत सुखदाड़े की प्रस्तुति
पूर्व रंग कार्यक्रम की विशिष्ट संगीत सभा “गालव वाद्यवृंद-सुर ताल समागम” 10 दिसंबर को शहर के हृदय स्थल महाराज बाड़े पर शाम 5.30 बजे सजेगी। इस सभा में ग्वालियर घराने के मूर्धन्य संगीत साधक पं. उमेश कंपूवाले और सुविख्यात ध्रुपद गुरु अभिजीत सुखदाड़े का ध्रुपद गायन होगा। साथ ही डा. पारुल बांदिल द्वारा भक्ति गीत प्रस्तुत किए जाएंगे। इस आयोजन में पाश्चात्य एवं भारतीय वाद्यों की जुगलबंदी से सुरों का उत्सव साकार होगा।
आयोजन स्थल पर बढ़ेंगे डोम, इलेक्ट्रिक हीटर लगाए जाएंगे
आयोजन स्थल पर बढ़ेंगे डोम, इलेक्ट्रिक हीटर लगाए जाएंगे 19 दिसंबर तक आयोजित होने वाले शताब्दी समारोह में संगीत रसिकों की संख्या अधिक रहेगी। क्योंकि इसमें तानसेन अलंकरण से विभूषित कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया है। संगीत रसिकों की संख्या को देखते हुए मोहम्मद गौस के मकबरे पर कुल तीन से चार डोम बनाए जाने की मंशा है। इनके साइज भी इस बार बड़े किए जाएंगे। ठंड को देखते हुए इलेक्ट्रिक हीटर लगाए जाएंगे।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में सांस्कृतिक कार्यक्रम कल
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में सांस्कृतिक कार्यक्रम कल 26 नवंबर को इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। आयोजन की शुरुआत देवास के भुवनेश कोमकली के गायन से होगी। इसके बाद इंदौर के पंडित अरुण मोरोने एवं आयुष मोरोने की संतूर-सितार जुगलबंदी होगी। तबला वादन कोलकाता के पंडित जयदीप घोष करेंगे।