मध्य प्रदेश में स्पीड ब्रीडिंग केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जिससे कृषि विशेषज्ञ नए चना और नसूर के बीज तैयार करेंगे। यह केंद्र उच्च गति वाले कृत्रिम वातावरण में बीज की तैयारी करेगा, जिससे किसानों को उपलब्ध नई किस्मों के बीज मिल सकेंगे।
By Ajay Upadhyay
Publish Date: Tue, 23 Jul 2024 06:22:00 PM (IST)
Updated Date: Tue, 23 Jul 2024 04:22:49 AM (IST)
![स्पीड ब्रीडिंग से सिर्फ तीन साल में चना और मसूर का नया बीज होगा तैयार, सीहोर में बन रहा केंद्र](https://img.naidunia.com/naidunia/ndnimg/23072024/23_07_2024-naidunia_news_chana.jpg)
HighLights
- स्पीड ब्रीडिंग केंद्र में कृत्रिम वातावरण में बीज किए जाएंगे तैयार
- राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में होगा स्थापित
- केंद्र में कम दिन पैदा होने वाली फसलें को किया जाएगा विकसित
अजय उपाध्याय, नईदुनिया ग्वालियर : पारंपरिक फसलों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाला समय तेजी से बदलते पर्यावरण में मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। देरी से आने वाला मानसून, सूखा या बहुत ज्यादा बारिश फसल चक्र को बाधित कर रही है, जिससे नए कीटों और बीमारियों के उभरने के अवसर मिल रहे हैं और कृषि कार्य खाद्य सुरक्षा में कमी ला रहे हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश में पहली बार चना और नसूर के बीज तैयार करने के लिए स्पीड ब्रीडिंग केंद्र स्थापित किया जा रहा है। यह केंद्र राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के सीहोर में स्थापित होगा। जिसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक करोड़ 35 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है।
स्पीड ब्रीडिंग केंद्र होगा कृत्रिम वातावरण
स्पीड ब्रीडिंग केंद्र में बीज को तीव्र गति से तैयार करने के लिए कृत्रिम वातावरण दिया जाएगा, इससे नई-नई किस्म के बीज कम समय में किसानों के लिए उपलब्ध कराए जा सकेंगे। शुरूआत में चना और मसूर के लिए प्रजनन केंद्र तैयार किया जाएगा। इसके बाद सोयाबीन और अरहर के लिए भी तैयार किया जाएगा।
कृषि विज्ञानियों के लिए नई किस्मों को विकसित करने में लंबा समय और मौसमी बाधाएं प्रमुख कारण हैं। रैपिड जनरेशन एडवांस (आरजीए) तकनीक का उपयोग करके स्पीड ब्रीडिंग नामक प्रक्रिया के माध्यम से तेजी से किस्म का विकास हासिल किया जा सकता है।
लंबे समय को किया जाएगा कम
कृषि विज्ञानी यासीन मलिक का कहना है कि इस प्रक्रिया को शुरू में पर्यावरण की स्थितियों में बदलाव करके लंबी और निर्धारित दिनों वाली फसलों में विकसित किया गया था, उदाहरण के लिए, फूल आने और बीज पैदा करने के समय को कम करने के लिए दैनिक प्रकाश के संपर्क को लंबा करना ताकि अगली पीढ़ी को जल्द से जल्द लाया जा सके।
कम दिन वाली फसलें होगी विकसित
आज, यह तकनीक कम दिन वाली फसलों में भी विकसित की जा रही है। इस प्रजनन केन्द्र में बीज विकसित करने के लिए तापमान, नमी, रोशनी आदि को नियंत्रित किया जाएगा। इससे फसल के लिए अनुकूल मौसम का वातावरण 365 दिन बनाकर रखा जा सकेगा। जिस मौसम की फसल की किस्म तैयार की जाएगी उस मौसम को कृत्रिम तरीके से बनाकर रखा जाएगा
केंद्र में तैयार किया जाएगा अनुकूल मौसम का वातावरण
स्पीड ब्रीडिंग केंद्र में अनुकूलन और गुणन कक्ष बनाए जाएंगे, जिनमें पर्यावरण की स्थितियां पूरी तरह से नियंत्रित होंगी। नियंत्रण मापदंडों में प्रकाश (तीव्रता, स्पेक्ट्रम और अवधि), तापमान (18 से 42 °सेंटीग्रेड), आर्द्रता (60% से 90%) और कार्बन डाई आक्साइड स्तर शामिल हैं।
जिस तरह से किसानों की आवश्यकताएं हर साल बदल रही है। उसको ध्यान में रखते नई किस्म की जरूरत भी पड़ रही है। लेकिन एक किस्म को तैयार होने में दस साल का वक्त लगता है इतना लंबा इंतजार करने से किसानों की आय प्रभावित होती है। इसी बात को ध्यान मे रखते हुए स्पीड ब्रीडिंग केंद्र तैयार किया जा रहा है, जिसकी मदद से 3 साल में नई किस्म तैयार की जा सकेगी।
-डॉ. अरविंद शुक्ला, कुलपति
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय